इतिहास

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गढ़ी गुलडहर गाँव का इतिहास


गढ़ी गुलडहर गाँव उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले का एक गाँव है। अब यह शहरी आबादी का हिस्सा बन गया है। 150 साल पहले 1875 ईस्वी में नली हुसैनपुर धूम सिंह के चार बेटे गढ़ी गुलडहर आए थे। तब यह गाँव शहर से काफी दूर होता था। अब शहरीकरण होने के कारण यह शहर का हिस्सा बन गया है। गाजियाबाद बस अड्डा गाँव से लगभग 5 किलोमीटर दूर है। इसके पूर्व में 1 किलोमीटर की दूरी पर सिकरोड़ गाँव,पश्चिम में 2 किलोमीटर दूर भोआपर गाँव, उत्तर में 2 किलोमीटर दूर मोरटा गाँव और दक्षिण में 2 किलोमीटर की दूरी पर शीयारी गाँव पड़ता है। इस गाँव के लुहाच परिवार के पास अब भी लगभग 60 बीघा जमीन है।गाँव में लुहाच परिवार की लगभग आबादी 150 लोगों की है।


गढ़ी गुलडहर के लुहाच पूर्वज उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के नली हुसैनपुर गाँव से आए थे। नली हूससईपुर वंशावली के मुताबिक 33 वीं पीढ़ी के धूम सिंह लुहाच के पाँच बेटे थे। इनके नाम मान सिंह, गुलाब सिंह, शेर सिंह, झँडू राम और बसाऊ थे। शेर सिंह और झँडू राम अविवाहित थे बाकी सब विवाहित थे।बसाऊ  को छोड़ कर बाकी सब भाई सपरिवार गढ़ी गुलडहर आकर बस गए। अगली पीढ़ी में मान सिंह के चार बेटे थे। इनके नाम इन्दराज सिंह, दाता राम, किशन लाल और भूप सिंह थे। कुछ समय के बाद मान सिंह का एक बेटा इन्दराज और गुलाब सिंह इकलौता बेटा रामजी लाल सपरिवार अमरपुर चले गए। इस प्रकार इस समय गढ़ी गुलडहर में केवल मान सिंह के वंशज ही रहते हैं।

 

सभी भाइयों ने यहाँ आकर 35 बीघा जमीन खरीद ली। अगली पीढ़ी में मान सिंह के बेटों ने 25 बीघा जमीन और खरीद ली। इस प्रकार लुहाच परिवार के पास 60 बीघा जमीन हो गई। इस समय गढ़ी गुलडहर के ज्यादातर लुहाच भाई बड़े बड़े व्यवसाई हैं। 38 वीं पीढ़ी के मूनी राम काइकलौता बेटा सन्नी एम बी बी एस करके डाक्टर बन गया।पति पत्नी दोनों डाक्टर हैं और अब गाजियाबाद में अपना हस्पताल चला रहे हैं।मनोज लुहाच और मुख्तियार सिंह की बड़ी बड़ी सी आई कास्टिंग की कम्पनी हैं जबकि अन्य का पैन्ट, प्लाइवुड, सेनीटरी, हार्डवेयर, इलेक्ट्रिक और जिम खाना का व्यवसाय है। गढ़ी गुलडहर आने के बाद लुहाच परिवार की 7 वीं पीढ़ी चल रही है।